याद

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सुलगती रहती है सुर्ख कोयले की आंच सी तेरी तलब।

कपकपांती सर्द में तेरी छुअन, ये रूह चाहती है।।

पर मोहताज नहीं तुझसे वस्ल के हम।

जब तुम नहीं आती, तुम्हारी याद आ जाती है।।

Glossary:
छुअन = touch
वस्ल = catchup, meeting
मोहताज = dependent, slave to

बेसब्र

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दिखती है कतरों में, धुंधले ख़्वाब सी तू है।

नशा देती है शराब सा, नायाब भी तू है।।

बेसब्र इस क़दर कि तेरा आगोश तलाशूं, सुकून के लिए।

मेरा सुकून भी तू, ज़िद्द का सैलाब भी तू है।।

शहर में उनके

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करते हैं हम गिला, शिकायतें भी होती हैं।

बेतकल्लुफ, दिल तोड़ने की, रिवायतें भी होती हैं।

एकाएक कहते हैं वो कि आस-ए-वस्ल में हैं।

फिर शहर में उनके, बेशुमार इनायतें भी होती हैं।