तेरी दूरियों की वजह से

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सब सुनसान है यहां, तेरी दूरियों की वजह से.

इक तूफाँ है मेरे अंदर, तेरी दूरियों की वजह से.

सैलाब-ए-जज़्ब का रेशमी एहसास नदारद है मेरे आगोश से,

सर्द शाम की तपिश ले आ, जो दूर है… तेरी दूरियों की वजह से.

When distance starts taking a toll on your emotions. Is it really the distance to be blamed or the people?

सैलाब-ए-जज़्ब = Storm of emotions

आदतों में शुमार

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अपनी आदतों में ना कर मुझे शुमार,
कल हो ना हो.. अपना ये क़रार.
नसीब का रक़्स किस ओर ले जायेगा..इस से ना-वाक़िफ़ हैं हम,
तेरे मेरे दर्मियाँ आ ना जाये वो दरार.

मौजूदगी तेरी – आदत नहीं, नशा हैं मेरा.
सुरूर बे-इन्तेहा सर चढ़ा है तेरा.
खुशियाँ न्यौछारना अख़लाक़-ए-नसीब नहीं ,
कल की खातिर, आज ना छीन प्याला-ए-मुस्कान मेरा.

She wanted him not to make anyone, his habit..including her. For she was afraid that future holds something that may not go well with this habit.

He wanted her to know that she is not a habit. She’s a drug. She de-stresses him…not thinking about the future at all.

नूर-ए-एहसास

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खुद की हक़ीक़त को अनसुना सा कर दूँ, पर,

तेरी रूह की आरज़ू की मुझको खबर है.

तेरी छुअन को कैसे कुरेदूँ ना,

तेरा नूर-ए-एहसास ही इस कदर है.

इश्क़ में माफ़ी नहीं होती

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बंदगी में रब्ब की वादा-खिलाफी नहीं होती,

मसरूफियत यार के नाम की कभी काफी नहीं होती.

दरिया-ए-इश्क़ की गहरायी को माप पाया है कौन,

इसमें बेपरवाह जुनूनीयत तो है, पर… माफ़ी नहीं होती.