ख़ाक

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ग़ुनाह हुआ, गुस्ताख़ हूँ.

पर कद्र है तेरी, ना तेरे ख़िलाफ़ हूँ.

माना दिल दुखाया है तेरा, पर तू रुस्वा न हो.

शोला हुआ करता था यारी में तेरी, तेरी रुस्वाई से ख़ाक हूँ.

When you make someone, close to you, shed out tears, only to realise your mistake later.

Saying sorry and meaning it can heal the wound. But scars… take their own sweet time.

गुस्ताखियाँ मेरी

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गुस्ताख़ होने से मेरे, रुस्वा तो हुआ ज़माना.

पर तन्हाइयों में सिसकियों का सबब, सूझता भी ना था.

कब तक शिरक़त करते लहू-लुहान दिल के जनाज़े में?

जनाज़े तक में, तकब्बुर से कोई चूकता भी ना था.

When you rebel against the world. for the world doesn’t deserve softer and nicer you. It didn’t lend a hand when you were in need. It just didn’t care. Now you shouldn’t too.

Glossary:

सबब = कारण , Cause

शिरक़त = शामिल होना, join

तकब्बुर = अहंकार, arrogance

कुछ देर ठहर

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रुस्वा तो तूने करना ही है, कुछ देर तो ठहर।

बा-दस्तूर वस्ल-ए-यार मुमक़िन नहीं, कुछ देर तो ठहर।

जुदाई का आलम अगले मोड़ से है झाँक रहा,

झपक भर का ये साथ छीन नहीं, कुछ देर तो ठहर।

When you know that you two have different goals, responsibilities and approach to life: leading to a separation. but you still want to live one more moment with each other.

Glossary:

बा-दस्तूर = routine

वस्ल-ए-यार = meeting the beloved