ना आयी कोई आवाज़ तेरी, ना थामा मेरा हाथ।
पराया हुआ वो आशियां, जो साझा तेरे साथ।
हुए जो मुख़ातिब फिर, तो ख़ामोश ही रहूंगा।
ख़ामोश था तेरी चौखट पर, अब क्या कहूंगा?
ना आयी कोई आवाज़ तेरी, ना थामा मेरा हाथ।
पराया हुआ वो आशियां, जो साझा तेरे साथ।
हुए जो मुख़ातिब फिर, तो ख़ामोश ही रहूंगा।
ख़ामोश था तेरी चौखट पर, अब क्या कहूंगा?