हिज्र

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हिज्र में हैं जनाब, ज़र्रा-ज़र्रा चुभन भी होंगी।

तेरे जाने से आंखे खुश्क हैं, पर नम भी होंगी।।

ना टूटने का क़रार याद है हमें, बस सांसे ज़रा भारी हैं,

कुछ चल रही हैं, पर कुछ तो ये कम भी होंगी।।

धड़कन ना रुकी

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ज़ालिम हैं हालत, कि तेरी गुफ्तगू से महरूम हूं।

होश में तू भी नहीं, भीड़ में मैं गुम हूं ।।

गुनाह हुआ जो वादा तोड़ा कि आंसू ना होंगे।

धड़कन तो ना रुकी, बस रूह से ज़रा सुन्न हूं।।

याद

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सुलगती रहती है सुर्ख कोयले की आंच सी तेरी तलब।

कपकपांती सर्द में तेरी छुअन, ये रूह चाहती है।।

पर मोहताज नहीं तुझसे वस्ल के हम।

जब तू नहीं आती, तेरी याद आती है।।

Glossary:
छुअन = touch
वस्ल = catchup, meeting
मोहताज = dependent, slave to