हिज्र में हैं जनाब, ज़र्रा-ज़र्रा चुभन भी होंगी।

तेरे जाने से आंखे खुश्क हैं, पर नम भी होंगी।।

ना टूटने का क़रार याद है हमें, बस सांसे ज़रा भारी हैं,

कुछ चल रही हैं, पर कुछ तो ये कम भी होंगी।।