खुद की हक़ीक़त को अनसुना सा कर दूँ, पर,
तेरी रूह की आरज़ू की मुझको खबर है.
तेरी छुअन को कैसे कुरेदूँ ना,
तेरा नूर-ए-एहसास ही इस कदर है.
खुद की हक़ीक़त को अनसुना सा कर दूँ, पर,
तेरी रूह की आरज़ू की मुझको खबर है.
तेरी छुअन को कैसे कुरेदूँ ना,
तेरा नूर-ए-एहसास ही इस कदर है.