ज़ालिम हैं हालत, कि तेरी गुफ्तगू से महरूम हूं।
होश में तू भी नहीं, भीड़ में मैं गुम हूं ।।
गुनाह हुआ जो वादा तोड़ा कि आंसू ना होंगे।
धड़कन तो ना रुकी, बस रूह से ज़रा सुन्न हूं।।
ज़ालिम हैं हालत, कि तेरी गुफ्तगू से महरूम हूं।
होश में तू भी नहीं, भीड़ में मैं गुम हूं ।।
गुनाह हुआ जो वादा तोड़ा कि आंसू ना होंगे।
धड़कन तो ना रुकी, बस रूह से ज़रा सुन्न हूं।।
ना आयी कोई आवाज़ तेरी, ना थामा मेरा हाथ।
पराया हुआ वो आशियां, जो साझा तेरे साथ।
हुए जो मुख़ातिब फिर, तो ख़ामोश ही रहूंगा।
ख़ामोश था तेरी चौखट पर, अब क्या कहूंगा?
रुस्वा तो तूने करना ही है, कुछ देर तो ठहर।
बा-दस्तूर वस्ल-ए-यार मुमक़िन नहीं, कुछ देर तो ठहर।
जुदाई का आलम अगले मोड़ से है झाँक रहा,
झपक भर का ये साथ छीन नहीं, कुछ देर तो ठहर।
When you know that you two have different goals, responsibilities and approach to life: leading to a separation. but you still want to live one more moment with each other.
Glossary:
बा-दस्तूर = routine
वस्ल-ए-यार = meeting the beloved
अरसा हुआ तुझे नज़रें चुराये,
बहरहाल, चाय के प्याले में तेरा ही अक्स है.
पर
मयस्सर नहीं अब हमसे आंखें चार करना,
ना तेरे इंतज़ार में आज ये शख्स है.
It’s been awhile since then. You do invade my dreams, but not my soul..anymore.
मयस्सर = possible or feasible