सब सुनसान है यहां, तेरी दूरियों की वजह से.
इक तूफाँ है मेरे अंदर, तेरी दूरियों की वजह से.
सैलाब-ए-जज़्ब का रेशमी एहसास नदारद है मेरे आगोश से,
सर्द शाम की तपिश ले आ, जो दूर है… तेरी दूरियों की वजह से.
When distance starts taking a toll on your emotions. Is it really the distance to be blamed or the people?
सैलाब-ए-जज़्ब = Storm of emotions