तू रू-ब-रू

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ना करूंगा तेरे आने का ज़िक्र, कि तेरी तरफ़ से पहल हो।

शहर दूर इतना भी नहीं तेरा, कि राह में दश्त या जबल हो।

आजा तू रू-ब-रू, होने दे पलकें भारी,

पर पलकें झपकने ना पायें, कि दीदार बे-ख़लल हो।।

Glossary:
दश्त = जंगल, forest
जबल = पहाड़, mountain
रू-ब-रू = आमने-सामने, face to face
बे-ख़लल = बाधा रहित, without any interruption

This is for the times when you are having a tough time in your own head for the distance is testing your patience.

It’s for the craving to affection and annoyance to adorable catching up.

Have faith. It shall be okay.

दिलासा

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लिपटी रहती है चुप्पी, सर्द रातों के साये में,

गूंजती हैं खामोशियां, तन्हा रूह के परछाए में।

क़हर बर्पा सन्नाटों पर, जो तोड़ने लगे दम,

दिलासा ही दे जा तू, “फिर मिलेंगे हम”।।

This is when it’s been or it feels like an age when you’ve seen the other one. The nights have turned darker and more lonely. You want him/her to be with you even if you two are busy with anything (even not mutually inclusive), but just the sight of that person at an arm’s length is warm enough to keep you sane and feeling adored.

May these tough times pass by soon.

वक़्त देख कर

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नहीं पहनी घड़ी तेरी तस्वीर के सामने,
कहीं रुस्वा ना कर दूं, वक़्त देख कर।
चार बातें की उस से, तो ज़रा वक़्त थमा,
मुस्कुराया ज़रा, मेरा बख़्त देख कर।

निकले कुछ रोज़, फिर हफ्ते, अब महीने हुए,
ताज्जुब में हूँ, अपनी आज़ाद गिरफ्त देख कर।
निकलेगा फिर महताब, वहां भी, यहां भी,
शरमाएगा खुद ही, अपनी शिकस्त देख कर।

नहीं पहनी घड़ी तेरी तस्वीर के सामने,
कहीं रुस्वा ना कर दूं, वक़्त देख कर।

This is for the times when the world is locked down and two of you are not able to meet as often as you used to.
An expression of affection and craving!
Pictures really help. For some, talking to pictures too.

Pro Tip: Confide in moon 😉

Glossary –
बख़्त = Destiny
महताब = Moon

ग़लतफहमी

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माथे पर शिकन, सूरत मेरी सेहमी थी।

उंगलियों में कसक, सांसों में गेहमा-गेहमी थी।

जो समेटा उसने आगोश में, पल भर में बिखरी मैं,

“धड़कन ना बढ़ेगी” – ग़लतफहमी थी।